पल्लव
Thursday, September 27, 2012
{ ३६३ } {Sept 2012}
खारों के बीच ही फ़ूल भी खिला करता है
ज़िन्दगी दर्द का सिलसिला हुआ करता है
तमन्नायें पिघल-पिघल जाती हैं बर्फ़ सी
आँखों को हक अश्कों का मिला करता है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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