पल्लव
Wednesday, September 26, 2012
{ ३५४ } {Sept 2012}
आज तेरी यादें उमडती जा रही हैं
मन के आँगन में मची छमछम है
कर रहा हूँ मैं शिकायतें क्या-क्या
ये तुम्हारा चेहरा है या मेरा भ्रम है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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