Sunday, September 9, 2012

{ ३४६ } {Sept 2012}





प्यार के कातिलों की बस्ती में
नाहक मुझे जनम दिया तुमने
तनहा है दीप, हवा निरंकुश है
मेरे ईश्वर ये क्या किया तुमने।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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