पल्लव
Sunday, September 9, 2012
{ ३४३ } {Sept 2012}
वेदना जमी जन्म कुन्डली में तो
बेबसी बसी है हाथ की लकीरों में
जिनका कुछ भी नहीं यहाँ अपना
गिनती होती है उनकी फ़कीरों में।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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