Sunday, September 30, 2012

{ ३७६ ) {Sept 2012}






दरमियान अपने फ़ासलो को हम कम करेंगें
कुछ आगे तुम भी बढो कुछ आगे हम बढेंगें
जगह बनाओ रूठे हुए दिल में प्यार की, फ़िर
फ़ूल चाहतों के दो दिलों के दरमियान खिलेंगें।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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