Sunday, September 30, 2012

{ ३८१ } {Sept 2012}





जब-जब अरमानों के सपने
आशाओं के लेकर मुस्काए
नींद चुरा ली तब उसने मेरी
जब-जब मुझसे मिलने आए।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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