Thursday, September 27, 2012

{ ३५८ } {Sept 2012}






थे कभी तुम राह के साथी, एक थी मँजिल हमारी
दिल की धडकनें एक थी, एक थी महफ़िल हमारी
आसमाँ के चाँद-तारे, धरती की नदियाँ और सागर
दे रहे हैं देखो वो गवाही कि एक है सहिल हमारी।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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