पल्लव
Wednesday, September 26, 2012
{ ३५६ } {Sept 2012}
मैं कब कहता दूर हूँ मैं और तेरी मुझे खबर नहीं
यादों की ज्वाला का मुझ पर तनिक असर नहीं
याद हमें अपने वादे, मन से दूरी नहीं ज्यादा है
कैसे तोडूँ सारे बँधन, आडे आती जग-मर्यादा है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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