पल्लव
Sunday, August 19, 2012
{ ३१४ } {Aug 2012}
मन पंछी उडता फ़िरता कभी गगन-गगन
मन पंछी रमता-बसता कभी वन-उपवन
मन पंछी कब रह पाया मानुष के वश मे
रूठे कभी पिया से चाहे कबी पिया मिलन।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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