पल्लव
Friday, August 17, 2012
{ ३०९ } {Aug 2012}
मुस्कुराओ कि फिर जिन्दगी लौटे
इस रेत के शहर में कुछ नमी लौटे
बुझ गई आँख, सों गई दहलीज है
डुबो इश्क में फिर जिन्दगी लौटे||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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