Tuesday, August 28, 2012

{ ३३० } {Aug 2012}





रस की तरंग जैसे है पायल में
रोशनी की लकीर है काजल में
मेरे आँगन में आज तुम जैसे
चाँदनी मुफ़लिसी के आँचल में।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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