पल्लव
Monday, August 20, 2012
{ ३१९ } {Aug 2012}
कल पास रह कर भी दूर थी मैं
अब दूर रह कर भी पास हूँ मैं
कलतक मैं निराशा से घिरी थी
पर आज किसी की आस हूँ मैं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment