पल्लव
Monday, August 20, 2012
{ ३१८ } {Aug 2012}
हमदर्दी, मेंहँदी की प्रीत बन गयी
स्वेद-गँध, जूडे का गीत बन गयी
कैसे बहलाए मन, सिल कर घाव
पीडा, क्षमताओं की मीत बन गयी।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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