पल्लव
Monday, June 3, 2013
{ ५८१ } {June 2013}
लाज से मुंद-मुंद जाते है नयना
खिलखिला रही दिल की दुनिया
रुख पे ढुलके आँसू लगते बोसा
मँद - मँद मुस्कुरा रही कल्पना।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment