पल्लव
Saturday, June 8, 2013
{ ५९५ } {June 2013}
एक चलती सी सुई, एक साथी मन
न सुई कभी थमती न थमता है मन
सुई कभी झुकती इधर तो मन उधर
जीवन की आपाधापी से बोझिल तन।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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