पल्लव
Tuesday, June 25, 2013
{ ६१० } {June 2013}
आस के गगन पर पँछी सा उडता हूँ
दिल पर तीरो-खँजर क्यों चलाते हो
छेड कर उन भूली यादों की धुन को
दिल के सोये ज़ख्म क्यों जगाते हो।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment