पल्लव
Saturday, June 8, 2013
{ ५९७ } {June 2013}
साबुत बचा जिस्म पर बहुत कुछ टूट गया
ज़ख्मी ज़ज़्बातों का बोझ उठाये फ़िरता हूँ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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