पल्लव
Wednesday, June 5, 2013
{ ५८४ } {June 2013}
ग्यान और धर्म का बाजार नर्म है
बुद्धि सर्द हो गई और पँगु कर्म है
कथन और क्रिया में तलाक हुआ
अर्थ ही समर्थ व्यर्थ कर्म-धर्म है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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