पल्लव
Saturday, June 8, 2013
{ ५९६ } {June 2013}
एक उम्र बीती थी जिस मँजर को बसाने के लिये
रश्क की चिंगारी ने पलभर में उसे खाक कर डाला।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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