Saturday, June 8, 2013

{ ५८९ } {June 2013}





नाराज हो कर माशूक कभी दिल को तडपाता है
फ़िर हो के खुश आशिक के पहलू में आ जाता है
खुद को इन नजरों से छुपाना छोड रूबरू हो कर
वो मौसमे-वस्ल में प्यार के गीत गुनगुनाता है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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