पल्लव
Monday, May 14, 2012
( २७५ } {May 2012}
हम उनको दोषी कहें, वो देते हमको दोष,
टुकडे-टुकडे देश हुआ, मिला नहीं संतोष,
पेड लगाया आम का, बना काँटेदार बबूल
देश जन चिन्ता करें, कैसा मिला परितोष।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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