पल्लव
Monday, May 7, 2012
{ २५३ } {May 2012}
प्यार की रूह छटपटाती है
गीत की आस लडखडाती है
बदहवास सी इन हवाओं में
चिरागों की लौ थरथराती है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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