पल्लव
Wednesday, May 9, 2012
{ २६७ } {May 2012}
सपनों को ढलते देखा है
वादों को टलते देखा है
प्यार होता पानी-पानी
प्रीत को छलते देखा है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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