पल्लव
Saturday, May 26, 2012
{ २९२ } {May 2012}
अब नहीं गीत-खुश्बू-जाम-शहनाई
मेरी महफ़िलें बनी हैं अब तनहाई
अब भी मुस्कुराने का मन होता है
मुस्कुराया जब भी आँख भर आई।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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