पल्लव
Saturday, May 26, 2012
{ २९१ } {May 2012}
ये ज़िन्दगी कब बिखर जाये
चैतन्यता का नशा उतर जाये
मुझको गम नही बिखरने का
बस किसी की राह सँवर जाये।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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