पल्लव
Tuesday, May 22, 2012
{ २८० } {May 2012}
अपने मन की बातों को मैं अपने मन में कह लेता हूँ
आँखों में आँसू भर-भर आते, वाणी को संयम देता हूँ
घूँट-घूँट विष पीने का अब मुझको हो चुका अभ्यास
दर्द से मेरा रिश्ता है, दिल की आहों को सह लेता हूँ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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