पल्लव
Monday, May 7, 2012
{ २४९ } {May 2012}
गमे - हिज्र इन आँखों से बयाँ है
कब हो गई सुबह, शाम कहाँ है
कुछ तो समझो मौसम के इशारे
हसीन है चाँद और रात जवाँ है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment