पल्लव
Tuesday, May 22, 2012
{ २८२ } {May 2012}
मत बैठो गुमसुम-गुमसुम, चल दारू पीते हैं
होने दो मन सरगम-सरगम, चल दारू पीते हैं
चल रही मदमस्त हवा, देह हुई मोतिया-नरम
शमा जलने दो मद्धम-मद्धम, चल दारू पीते हैं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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