पल्लव
Saturday, February 11, 2012
{ १५१ } {Feb 2012}
खाली-खाली जेब कहे, ये कैसा गणतंत्र है
अन्न को तरसते पेट, ये कैसा गणतंत्र है
गुम है दिल की मस्ती, ये कैसा गणतंत्र है
धन्य-धन्य भ्रष्टतंत्र, ये कैसा गणतंत्र है ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment