पल्लव
Thursday, February 23, 2012
{ १७३ } {Feb 2012}
न रहा हाथों को काम, खेतों को पानी है
कर्ज में आकंठ डूब चुकी कौम की जवानी है
देश के तालाबों पर आ बैठा है मछेरा विदेशी
ऐसी दुर्दशा की हो गई मेरे देश की कहानी है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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