पल्लव
Monday, February 27, 2012
{ १८८ } {Feb 2012}
अजीब आलम है बदहवासी का
सिर्फ़ ठोकरों पे ही मैं डोलता हूँ
भीड के इस अथाह समन्दर में
खुद को ही मैं ढूँढता-टटोलता हूँ ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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