Monday, February 13, 2012

{ १६६ } {Feb 2012}






डबडबाये रहते नयन अँधेरे मे
रात भर रोशनी को तरसे हम
मौत अक्सर मिली हमें लेकिन
उम्र भर ज़िन्दगी को तरसे हम ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



No comments:

Post a Comment