Thursday, February 23, 2012

{ १८१ } {Feb 2012}






अनुकूल दिशाओं में तुम
अनोखी आशाओं में तुम
चाँदनी निशाओं में तुम
हर जिग्यासाओं में तुम ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment