पल्लव
Friday, February 10, 2012
{ १५० } {Feb 2012}
प्रीति में जब से रमा है, दिव्य मेरा मन
देह यह माटी की महकती, हो गई चंदन
मुँद गईं पलकें देखने लगी कुछ मन में
भावना अनुभूतियों का कर रही वन्दन ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment