पल्लव
Saturday, February 11, 2012
{ १५३ } {Feb 2012}
कोमल कलियों की पाँखुरियाँ
खिल गईं, खुल गए बन्द द्वार
जीवन मरुथल को सींच गईं
ऋतु बसन्त की रस -फ़ुहार ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment