Wednesday, February 29, 2012

{ १९५ } {Feb 2012}





कौन है अपना, है कौन पराया
न कोई अपना, कोई न पराया
जन-जग-व्यवहार सब है झूठा
है ये माया कोई समझ न पाया ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment