Saturday, February 11, 2012

{ १५५ } {Feb 2012}





प्रेम मे जैसे मौन खलबली सी तुम
मोहक नाजुक मादक भली सी तुम
मुस्कुराती जब-जब भी अल्हडता से
लगो कल्पनाकुँज की कली सी तुम ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


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