Monday, February 13, 2012

{१६१ } {Feb 2012}






यूँ तो प्यासा भी रह लिया लेकिन
इस प्यास की भी अजीब माया है
राह मे तिलमिलाई जब - जब भी
तभी कोई पनघट करीब आया है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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