Monday, February 27, 2012

{ १८५ } {Feb 2012}






तुम मेरा दुख-दर्द टाल सकते थे
मुझे उलझनों में सँभाल सकते थे
उलझा दी है कश्ती मेरी भँवर में
मुझे दरिया से निकाल सकते थे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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