पल्लव
Friday, February 10, 2012
{ १४८ } {Feb 2012}
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जन्ती पर शत-शत नमन
थर-थर करती धरती सारी
टूट-टूट कर गिरते थे तारे
तडप उठती लहरें सागर की
हिम पर्वत भी डगमग डोले
सूरज भूले बरसाना अंगारे
ऐसी थी हुँकर सुभाष की
दुश्मन ढूँढे गली-गलियारे ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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