Wednesday, February 29, 2012

{ १९४ } {Feb 2012}




बदली कहाँ-कहाँ घिरी है जानते नही?
बिजली कहाँ-कहाँ गिरी है जानते नही?
ये हैं राजे-मोहब्बत कहीं खुल न जायें
खत्म नही होता इश्के-पैहम जानते नही?

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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