पल्लव
Monday, April 8, 2013
{ ५२२ } {April 2013}
रात महुए के फ़ूल छलके तो
डगमगा गई नशे में पुरवाई
पी गई इतनी कि भोर तक
चाँदनी फ़िर न होश में आयी।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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