Tuesday, April 16, 2013

{ ५४५ } {April 2013}





नयनों से बाण चलाती हो
नयना खूब.. मटकाती हो
अपने दिल के लफ़्ज़ों को
नयनों से... कह जाती हो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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