Sunday, April 14, 2013

{ ५३४ } {April 2013}





खाली-खाली जेब कहे कैसे होली का स्वागत हो
घर में भूँजी भाँग नहीं, क्या पानी की दावत हो
दास्ताँ अपनी सुनाते आँखों के आँसू सूख गये
गुम होती मस्ती जब कतार में खडी आफ़त हो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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