पल्लव
Thursday, April 18, 2013
{ ५५६ } {April 2013}
रँग-बिरँगे फ़ूल गुलशन में थे हजारों
पर तुम सा हँसीं कातिल कोई न था।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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