Tuesday, April 30, 2013

{ ५७१ } {April 2013}





गुनाहों को अपने घर प्रेम से बुलाती है मदिरा
फ़िर उनको अपना आशिक बनाती है मदिरा
मदिरा के इश्क में डूब, झूम के चलता गुनाह
तब गुनाहों की प्रियतमा कहलाती है मदिरा।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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