Saturday, April 13, 2013

{ ५२८ } {April 2013}





तेरे लबों पे खिली तबस्सुम सहर सी लगे
जहन में तैरते खयाल.. हमसफ़र सी लगे
तेरी नीची नज़र, झिझक और अब्रू पे बल
धडके दिल मचलती जाँ पे कहर सी लगे।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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