पल्लव
Thursday, April 18, 2013
{ ५५३ } {April 2013}
आहिस्ता से जब कमलनी अंगडाती है
कविता में रस-धार बहती बलखाती है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment