Tuesday, April 16, 2013

{ ५४४ } {April 2013}





दो दिलों का मिलन क्या है तृप्ति क्या है
मैं निरंकुश किसी का प्यार जान न सका
नीलगगन में जडा हुआ मैं एक सितारा हूँ
चाँदनी का सरल तरल दुलार जान न सका।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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