Tuesday, April 16, 2013

{ ५४६ } {April 2013}





ये दीपक. जो अँधेरों के अँक में पला है
मेरे साथ रात भर हँस-हँस कर चला है
सह सकता है. वो ही जिसमें भरा स्नेह
रोशनी दे सकता वो ही जो खुद जला है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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